इसीके फलस्वरूप जनताने मुझे और मेरे दल को पाँच वर्ष तक पुनः लोकसेवा करनेका अवसर प्रदान कर आम चुनावमें विजयी बनाया है । मैं उनके अनुग्रह को टाल नहीं सकता और इसलिए हमारे पर पडी कठिन जिम्मेदारी को जीवन की अंतिम साँस तक वहन करने का दृढ निश्चय किया है । भाषाई आन्दोलन के दरमियान जिन निरपराधों को सहन करना पडा है या प्राणों से हाथ धोना पडा है उनके परिवारों के प्रति सहानुभूति रखते हुए सरकार उन्हें मदद देने का यथेष्ट प्रयत्न करेगी । कल्याणकारी राज्य-निर्मिति के हमारे उद्देश्य का अर्थ है लोकाभिमुख राज्य-प्रशासनिक नई सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि का आविष्कार ! प्रदेश की सुख, शांति, समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए पंचवर्षीय योजना को कार्यान्वित करना हम अपना कर्तव्य समझते हैं । प्रदेशकी औद्योगिक उत्क्रांति के लिए तांत्रिक-शिक्षण की सख्त आवश्यकता है । अतः औद्योगिक एवं आर्थिक विकास की योजना साकार बनाने हेतु तांत्रिक शिक्षण का योग्य प्रबन्ध किया जाएगा । औद्योगिक-विकास के साथ ही कृषि सुधार होना भी आवश्यक है । उसी मसले को हल करने के लिए हमारे प्रधानमंत्री पंडित नेहरूने 'Grow More Food' - 'अधिक अन्न उपजाओ' - का नारा लगाया है । हम अपने राज्यमें कृषिक संबंधित विभिन्न प्रयोग कर रहे हैं । हमारा प्रत्येक कार्य जनता-जनार्दन की भलाई और सर्वांगीण उन्नति की भावना को लेकर ही संपन्न होता है । आशा है, आप लोग अपना सक्रिय सहयोग प्रदान कर नये राज्य को भारत का एक आदर्श राज्य बनाने में सरकार के साथ कंधे से कंधा भिडा कर कार्य करेंगे ।''
यशवंतराव जिस तरह विरोधी दलों को 'sportsman spirit'--खिलाडी वृत्ति--अपनाने का बार बार भारपूर्वक आग्रह करते हैं ठीक उसी तरह वे इस उक्ति को समय समय पर काँग्रेस जनों पर भी लागू करते रहते हैं । मुख्यमंत्री बनजाने के पश्चात् २१ मई को जब बम्बई प्रदेश काँग्रेस समितिने उनका सत्कार करने का निर्णय किया; उन दिनों बम्बई नगर-निगम के चुनाव अभी हाल ही संपन्न हुए थे । जिस बम्बई नगर को लेकर देशव्यापी विवाद खडा हुआ था उसकी बहुसंख्यक जनता ने समिति को विजयी बना कर संयुक्त महाराष्ट्र के पक्षमें निर्णय दिया था । बम्बई निगममें काँग्रेस-दल अल्पसंख्या में चुना गया था । यशवंतरावने स्वागत समारोह का प्रत्युत्तर देते हुए बताया कि, भाषाई प्रश्न को लेकर नगरनिगम में काँग्रेस की जो पराजय हुई है उसे बम्बई के काँग्रेसजनों को खिलाडी-वृत्ति से मान लेनी चाहिए । काँग्रेसजन यह भूल जाय कि वे शासनारूढ काँग्रेस दलके सदस्य हैं; बल्कि वे उस दल के सदस्य हैं, जो भारत का एक राजनीतिक दल है । काँग्रेसजनों को प्रायः वास्तविक तथ्यों को अपनाना सीखना चाहिए ।
लोकसभाने तटस्थ नीतिका अवलम्बन कर विशाल द्विभाषिक की रचना की । श्री चिंतामण देशमुखने उसका पौरोहित्य किया । आचार्य कृपलानी, साथी अशोक मेहता, कामथ, राष्ट्रसंत विनोबा, रावसाहब पटवर्धन आदि नेताओंने मंगल आशीर्वाद दिये । काँग्रेस दलने विशाल द्विभाषिक को मूर्तरूप बनाने का बीडा उठाया और यशवंतरावने निष्ठापूर्वक नये राज्य को प्रगति-पथ पर ले जाने का दायित्व अंगिकार किया । लेकिन इससे उनकी मुश्किलियाँ घटने के बजाय और बढ गई । समिति और परिषद ने अपना दुराग्रह न छोडा । यशवंतराव ज्यों ज्यों समझौता-वृत्ति अपनाने लगे त्यों त्यों विरोधियों के हौसले बढते गये । वे मनमानी करने लगे । फिर भी यशवंतरावने धीरज न छोडी । वे अनन्य श्रध्दा, शक्ति और निष्ठा से अपने कार्य में लग गये । मई महीने में बडे ही उत्साह के साथ कुडाल में द्विभाषी-सम्मेलन संपन्न हुआ ।
मुख्यमंत्रीपद पर आसन्न होने के दूसरे दिनही बम्बई में मजदूर और किसानवर्ग ने बहुत बडे पैमाने पर यशवंतराव का स्वागत किया । स्वागताध्यक्षने अपने भाषणमें कहा : ''यशवंतराव के इस राज्यके मुख्य मंत्री चुने जाने पर बम्बई के मजदूर वर्गने उनका सार्वजनिक अभिनन्दन करने का निश्चय किया । सातारा जिले के किसान परिवार में पैदा हुए एक लडके का इस तरह भारत के सबसे बडे प्रगत राज्यके मुख्य मंत्रीपद पर चुना जाना सामान्य जनता के लिए एक सुखद और आश्चर्यजनक घटना है । भारतीय संविधान की आधारशिला जिन उदात्त सिद्धांत और नीति पर आधारित है उसकी प्रत्यक्ष प्रतीति यशवंतराव के चुनाव से हुई और विश्वास होगया कि स्वाधीन भारतमें जाति-पाति, धर्म-कर्म की श्रेष्ठता के बजाय मनुष्यमें रहे गुणों को महत्व दिया गया है ।''
यशवंतराव नीचे से ऊपर उठे हैं । गरीबी क्या चीज है यह उन्हें अच्छी तरह मालूम है । अतः वे हमेशा किसान-मजदूरों की समस्या पर आस्थापूर्वक विचार करते हैं । जब सोलापूर की नरसिंगजी मील को ताले लग गये और हजारों मजदूर दाने-दाने के मुँहताज हो गये तब यशवंतरावने स्वयं जिम्मेदारी वहन कर उसे पुनः खुलवाया और बेकार मजदूरों को काम पर लगाया । नासिक सिक्युरिटी मजदूरों के हडताल करने पर यशवंतरावने मध्यस्थ बन, दोनों पक्षोंमें सन्माननीय समझौता कराया । राज्यीय यातायात सेवा के कर्मचारी जब कार्यकाल का प्रश्न लेकर हडताल करने सोच रहे थे तब उस ओर अपना लक्ष्य केंद्रित कर योग्य न्याय दिलाया । एक बार अखिल भारतीय कल-कारखानदार संघ की त्रैमासिक बैठक का उद्घाटन भाषण करते हुए यशवंतरावने मजदूरवर्ग की न्याय-माँगों का समर्थन ही किया था । उन्होंने कहा : ''औद्योगिक मजदूर-वर्ग के वासस्थानों की योग्य व्यवस्था किये बिना इस राज्यमें व्यापार-वाणिज्य के नये स्रोत खोजना भूल होगी । बम्बई और अहमदाबाद जैसे व्यापारिक नगरों में पहलेही व्यस्त व्यापारिक प्रतिष्ठान और कल-कारखानों के कारण स्थानाभाव है । ऐसी स्थितिमें नये सिरे से व्यापार-वाणिज्य को सुविधा देना निरा पागलपन होगा । आजकल विभिन्न कल-कारखाने अकाल ही बंद हो जाते हैं । कभी कभी तालाबन्दी की नीति का भी अवलम्ब किया जाता है । अतः ऐसे कल-कारखानों को राज्य सरकार अपने नियंत्रण में ले सकें ऐसी सुविधा प्रदान करनेवाला विधेयक हम शीघ्र ही ला रहे हैं ।''